बुधवार, 17 जून 2009
डीजल ने जमाया रंग
खड़खड़ाहट की आवाज, काला धुंआ, शोर इतना कि आप पास बैठे लोगों से ठीक से बात भी न कर सकें। परंपरागत डीजल इंजन वाले वाहनों के बारे में भारत में लोगों की धारणा कुछ ऐसी ही थी। लेकिन यूरोप से चल कर भारत पहुंचने वाले अत्याधुनिक और उन्नत इंजनों ने तो भारतीय कार बाजार की पूरी दुनिया ही बदल दी है। यहां शोर और धंुआ कल्पना की चीजें हैं, अगर कुछ है तो ताकत और किफायत जैसी विशेषताएं। इन विशेषताओं की वजह से ही यूरोप में डीजल इंजन वाले कारों का बाजार के पचास फीसदी हिस्से से ज्यादा हिस्स्से पर कब्जा हो चुका है। डीजल कारों की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से भारत के अमूमन सभी कार उत्पादकों का नया मंत्र है-डीजल अपनाओ, बिक्री बढ़ाओ। दैनिक भास्कर में 4 फरवरी 2007 को प्रकाशित खबर का इंट्रो
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